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भारत में टेलिकॉम क्रान्ति की कहानी

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आम चुनाव 2009 के बाद कपिल सिब्बल के हवाले से एक ख़बर आई थी कि 150 से भी अधिक मीडिया पब्लिकेशन के मालिक कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे. इस ख़बर में कहा गया था कि इन मीडिया पब्लिकेशन के मदद से राहुल गाँधी को लिजेंड बनाया जा सकेगा. हाल के वर्षों में राहुल को महान बनाने प्रयास तो देखने को मिला पर उस प्रयत्न में कितनी सफ़लता मिली यह विवाद का विषय है. किसी चुनाव जीत के बाद सफ़लता का श्रेय राहुल को देना या हार के बाद मोरल विक्ट्री बताना उसी प्रयास का हिस्सा मालूम होता है. इसी तरह पिछले कुछ वर्षों में कोंग्रेस ने इन मीडिया हाउस की मदद से दूसरा मिथक खड़ा करने का प्रयास किया. इसके लिए उन्होंने संचार क्षेत्र में आये क्रांति के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और उनके सलाहकार सैम पित्रोदा को श्रेय देने की शुरुआत की. हमें प्रभावकारी तरीकों से यह बताया जाता है कि राजीव गाँधी और सैम पित्रोदा के प्रयासों के कारण ही आज भारत के सभी हाथों में मोबाईल है. गुजरात विधानसभा चुनाव के वक्त राहुल गाँधी ने एक सभा में कहा, ''आप के पास मोबाईल फ़ोन आया क्योंकि राजीव गाँधी ने आपकी सुनी.'' उत्तर प्रदे