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Showing posts from August, 2019

अपने पति पर सोनिया गाँधी की गलत बयानी

ऑगस्टा हलिकोप्टर के मामले में तो अभी बहस चल रही है पर नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया अभी जमानत पर हैं. क्या पता कुछ दिनों बाद उनका भी 'चिदम्बरम' हो जाये? नये भारत के साथ 'दिक्कत' यह है कि हरेक हाथ फैक्ट-चेकर है इसलिए कई बार पेशेवर फैक्ट-चेकर भी प्याज छिलते ही नजर आते हैं. इसलिए आप कभी भी कुछ भी बोल कर, बिना जवाब दिए निकल सकते हैं पर जब नया भारत बोलेगा तो आप फिर बोलने लायक नहीं बचेंगें. इसके बावजूद आपके चाहने वालों की संख्या कम नहीं होगी, जो आपको स्वाभाविक घमंड की ओर धकेलेगा और फिर आप वही गलती दोबारा करेंगें जिसके लिए नये भारत ने आपको पहली बार कटघरे में किया था. इसी नये भारत में राजीव गाँधी का 75वां जन्म दिवस मनाया गया, जहाँ ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है जो यह मानते हैं कि यदि राजीव गाँधी जीवित होते भारत विकास औए समृद्धि अनुपम शिखर छू गया होता. ऐसे लोगों का यह मंतव्य कम्प्यूटर क्रांति को लेकर है जबकि यह स्थापित सत्य है कि राजीव गाँधी ने उस क्रांति को अपने तक ही सीमित रखा और उनके कार्यकाल में आम लोगों को कोम्प्यूटर जैसी कोई सुविधा उपलब्द नहीं थी. बल्कि जिन लोगो

वीर सावरकर को गांधीगिरी का प्रमाणपत्र नहीं चाहिए

इतिहास में ऐसे कुछेक नायक ही हुए जिनके खिलाफ़ चरित्रहनन का अभियान बड़े ही क्रूर और बर्बर तरीके से चलाया गया. एक योद्धा जिसने कई राष्ट्रवादियों और राजनीतिक नेताओं, यहाँ तक कि शुरूआती साम्यवादी नेता एम्. एन. रॉय, हिरेंद्रनाथ, डांगी आदि को भी प्रेरित किया. हालाँकि उनके बाद के भारतीय साम्यवादियों ने इस महान क्रन्तिकारी के छवि का इतना गुदामर्दन किया कि इन्हें भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का गद्दार तक कहा गया. यूँ तो सावरकर को मोहनदास करमचंद गाँधी के प्रमाणपत्र की जरुरत नहीं है, पर गाँधी ने भी वीर सावरकर को भारत का विश्वासी पुत्र, चालाक, बहादुर और फ़िर क्रन्तिकारी भी कहा. सावरकर को लेकर मुख्य आरोप उनके अंदमान जेल में कैद रहते हुए ब्रिटिश हुकूमत को कई माफ़ीनामे लिखने को लेकर लगाया जाता है. हालांकि ऐसा आरोप को भारत में लगे आपातकाल के बाद हवा मिली. आपातकाल के बाद के दिनों में एक तरफ़ राष्ट्रवाद अपनी चमक खोता गया तो दूसरी तरफ़ नए वामपंथियों ने हिंदुत्व पर हमला करने करने के लिए सावरकर को उसका पिता बता कर अपने कोपभाजन का शिकार बनाया. इसके लिए उन्होंने गहन शोध का हवाला देते हुए बेबुनियाद खबरों के आधार प