पूंजीवाद की दिक्कत

क्या पूंजीवाद सर्वश्रेष्ठ आर्थिक प्रणाली है? क्या लोकतंत्र इसका केंचुआ बन कर रह गया है? हाँ या नहीं जो भी हो, पर कोई भी सच्चाई इसे फैलने से रोक सका. बसरते ये कहना ठीक होगा कि पूंजीवाद ही वो आर्थिक प्रणाली है जो सम्पूर्ण पृथ्वी की सच्चाई है. इतना ही नहीं किस देश को चक्र बखूबी चले इसके लिए यह सबसे जरुरी है की वो अपने नीतियों के हरेक आयामों में पूंजीवाद को असीमित जगह दे. इतिहास बाजारवाद की सफलता के कहानितों से भरा पड़ा है. फिर वो चीन के ग्रेट लिप फॉरवर्ड से लेकर डेंग जिओपिंग के सुधार और उदारवाद की कहानी हो, जो मानव इतिहास में गरीबी के विरुद्ध सबसे बड़ी जित साबित हुई. पूंजीवाद को अपनाकर एक ओर जहाँ पूर्वी जर्मनी और दक्षिण कोरिया समृद्ध बन जाता है तो उनके जुड़वाँ भाई कमशः पूर्वी जर्मनी और उत्तर कोरिया के साथ ठीक उल्टा हुआ. हालाँकि बाद में जर्मनी के एकत्रीकरण के साथ यह अंतर मिटता गया. पर फिर चिली के आर्थिक तरक्की और वेनुजुएला के विफलता को तो नजरंदाज नहीं  कर सकते.

Comments

Popular posts from this blog

तुम्हारा पति जिन्दा है..

भारत में टेलिकॉम क्रान्ति की कहानी

वीर सावरकर को गांधीगिरी का प्रमाणपत्र नहीं चाहिए