तुम्हारा पति जिन्दा है..

वो रोज सुबह एटीएम् से आकर पैसे निकलता है. रोज सिर्फ एक सौ रूपए. हर रोज सुबह वह एटीएम् में आने वाला पहला व्यक्ति होता है. उसका हर रोज सौ रूपए निकालना कुछ अजीब सा लगने लगा. कभी पूछने की हिम्मत भी नहीं कर पाया. वर्दी में उस फौजी को सुबह-सुबह देख कर मैं ऐसे ही घबरा जाता हूँ. उसपर से यदि कुछ पूछने पर वो गुस्सा भी हो जाए क्या पता.

एक दिन सुबह-सुबह कुछ आम लोग आस पास थे तो मैंने ये सोचते हुआ उसे टोका कि फौजी गुस्सा होगा तो आमलोग बचा लेंगें.

''जनाब अगर बुरा ना मानें तो क्या में जान सकता हूँ कि इतनी ठण्ड में आप रोज आकर सिर्फ़ एक सौ रूपए ही क्यूँ निकालते हो?'' मैंने डरते-डरते ही पूछा.

फौजी को कुछ बोलते ना बना तो मैंने हिम्मत कर एक बार और टोका, ''साहब आप एक दिन ही बड़ी रकम क्यूँ नहीं निकाल लेते? रोज-रोज परेशान होने से तो अच्छा ही होगा.''

फौजी ने जबाव दिया, ''मेरी पत्नी का मोबाईल इस अकाउंट से कनेक्टेड है. इसलिए रोज सुबह मैं जब सौ रूपए निकालता हूँ तो मेरी पत्नी के मोबाइल पर मेसेज चला जाता है.''

इतना कह कर फौजी चुप रहा. मैंने फिर ये कहते हुए फौजी को कुरेदा कि ये सब तो सामन्य बातें हैं. यहाँ तक कि मेरी भी पत्नी के मोबाईल से मेरा अकाउंट जुड़ा है. हर बार पैसे निकलने पर उसे मेसेज भी जाता है.

फौजी का जवाब मुझे अबतक पता हो गया पर मैं उसके मुंह से सुनना चाहता.

आखिरकार फौजी ने जवाब दिया, ''हाँ पर मेरी पत्नी के मोबाइल पर रोज सुबह मेसेज जाते ही उसे पता लग जाता है कि उसका पति जिन्दा है.''


(कहानी कितनी सच्ची कितनी झूठी है नहीं मालूम पर शाह इम्तियाज ने शेयर की)





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