जीवित लोकतंत्र का मतलब
एक जीवित लोकतंत्र का मतलब है कि जनता दीर्घकाल के लिए कोई रुख न अपनाए . उसका रुख क्षणिक होना चाहिये .अमेरिका में इसके विपरीत हुआ और अब वहां कि जनता पीढ़ियों से या तो रिपब्लिक है या डेमोक्रेट , बिलकुल दो धर्मों की तरह . असल में जनता , मतदाता कहलाने की स्थिति में नही है . भारत भी उसी दिशा में अग्रसर है .
भारत की स्तिथि अमेरिका से भिन्न है पर वो अंतर भी भारत के लिए और भी घातक है . वो स्थिति है - 'कुछ भी हो जाये इसे वोट नही करना है '. 'निर्णायक मत' या कह लें कि फ्लोटिंग वोट के दिनों दिन कम होने के कारण राजनितिक पार्टियाँ काबिले में परिवर्तित होती जा रही है . ऐसे में संभव है कि वो दिन भी देखना पड़े जब सत्ता का हस्तान्तरण बिना खून खराबे के संभव न हो .
भला एक बड़ा और शक्तिशाली कबीला अपेक्षाकृत छोटे को क्यूँ सत्ता में आने देगा . बंगाल लोकल बॉडी इलेक्शन का उदहारण ले लें . तमाम हिंसा के बाबजूद मिडिया को वो कबीला इस मुद्दे को निर्णायक ढंग से नहीं उठाता जबकि वही लोग समय - समय पर 'आपातकाल ' , 'असहिष्णुता' जैसा शब्द बुनता रहता है .
भारत की स्तिथि अमेरिका से भिन्न है पर वो अंतर भी भारत के लिए और भी घातक है . वो स्थिति है - 'कुछ भी हो जाये इसे वोट नही करना है '. 'निर्णायक मत' या कह लें कि फ्लोटिंग वोट के दिनों दिन कम होने के कारण राजनितिक पार्टियाँ काबिले में परिवर्तित होती जा रही है . ऐसे में संभव है कि वो दिन भी देखना पड़े जब सत्ता का हस्तान्तरण बिना खून खराबे के संभव न हो .
भला एक बड़ा और शक्तिशाली कबीला अपेक्षाकृत छोटे को क्यूँ सत्ता में आने देगा . बंगाल लोकल बॉडी इलेक्शन का उदहारण ले लें . तमाम हिंसा के बाबजूद मिडिया को वो कबीला इस मुद्दे को निर्णायक ढंग से नहीं उठाता जबकि वही लोग समय - समय पर 'आपातकाल ' , 'असहिष्णुता' जैसा शब्द बुनता रहता है .
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