कंटेंट की बाढ़ में ये मेरी फैमली

'सूचना क्रांति अपने उफान पर' कहना गलत होगा क्योंकि उफान का अंत निकट होता है सूचना क्रांति के साथ ऐसा कुछ दिख नही रहा है . फिर क्या कहें ? नित नए सोपान छू रहा है या फिर अंतहीन है फिर भी तीव्र गमन का शिकार है . आप विश्वास करेंगे कि कभी टीवी की प्रदर्शनी भी लगाई जाती थी अब वो एक दर्शक वर्ग के लिए 'इडियट बॉक्स' बन गया है . आपके लिए यह इडियट बॉक्स नही भी है तो सोचिये कि आप किसे तरजीह देते हैं , हाई - स्पीड इन्टरनेट के साथ मोबाइल को या सेटेलाईट टीवी को ? खुद टेलीवीजन भी उठ कर मोबाइल में फिट हो गया है . कंटेंट की भरमार है , शायद जिन्दगी कम पर जाये देखने के लिए . 82 % लोग जब YouTube पर एक विडिओ देखने आते हैं तो औसतन 7 देख कर जाते हैं , बांकी 18 % इससे भी अधिक , औसतन 14 . लोगों कि इस आदत ने कईयों को रातों रात स्टार बना दिया . कुछ अलग देखने- सुनने की भूख इतनी तेज है , 'धिन्चक पूजा' भी स्टार बन जाती है . यदि आप इस नाम से वाकिफ नही हैं तो अपने आप को ज़माने से पीछे बिलकुल मत समझिये . आप वास्तव में भग्यशाली हैं . वो बात गुजरे ज़माने की है जब हर बच्चा फिल्म देखकर इमानदार बनने और अन्याय से लड़नेकी प्रेरणा लेता था , इक्के- दुक्के अब भी बचे है , अपवाद कह लीजिये . इमानदारों को भी अच्छा लगेगा , उन्हें भी अच्छा लगेगा जो इमानदार बनने लिए प्रयासरत हैं . आपको मेरी बात पर यकीं नही है , मतलब आप अपवाद को #शाश्वत की संज्ञा दे रहे हैं . संज्ञा समझते हैं न , तो धन्यवाद दे दीजिये उन्हें जिन्होंने सिखाया . अच्छा खुद ही सीख गये , बड़े कंजूस हैं . नही सीखा तो भी खुद ही सीखना होगा , क्या पता आपके स्कुल मास्टर को न आता हो . #शाश्वत , पर ये सोचिये कि 'धूम' और 'रेस' जैसी फ़िल्में 'जय हो' , 'घायल-2 ' , 'रेड' से आगे क्यूँ निकल जाती है . आप यदि इन फिल्मों से वाकिफ नहीं तो दूसरा उदाहरण ले लीजिये . यदि 'सी आई डी ' और 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' का नया एपिसोड के ही वक़्त पर आ रहा हो तो आपके घर के टीवी पर कौन सा चैनल लगाया जायेगा , 'सोनी टीवी' या ' कलर्स' , हाँ टीवी रेमोड पर किसी एक व्यक्ति का हक न हो . आप सेटेलाईट टीवी पर आने वाले धारावाहिक के इतिहास को देख लीजिये . सफलता के झंडे गाड़ने वाली क्योंकि 'सास भी कभी बहु थी' , 'कुमकुम' , जिसे सास - बहु एक साथ देखती थी . हो सकता है आपके घर में सेटेलाइट टीवी (डिश) न रहा हो , तो दूरदर्शन ' एह्सास - हर घर कि कहानी ' , क्या वाकई वोहर घर की कहानी थी ? ऐसी धारावाहिक सच्चाई से दूर होकर भी एक सच्चाई ही थी . आज उनका स्थान , ' भाभीजी घर पर हैं ' और 'नागिन' ने ले लिया है . दूरदर्शन आज भले ही पीछे हो पर एक दौर में 'रामायण' और 'महाभारत' के लिए इसे खूब देखा ता था . ये सारे नाम दर्शक को फूहड़ , अंध-विश्वासी , झगडालू और थोडा-बहुत धार्मिक पर्वृति का बनता है . विशेषज्ञों का तो यह भी मनना है कि अयोध्या मामले में , 'रामायण' ने भी अपनी भूमिका निभाई थी . टीवी वाला रामायण . आप यदि इससे सहमत नही हैं तो अंग्रेजी में आपको 'optimistic' कह देते हैं . खुश ! आपको यदि ये शिकायत है कि 'चकोड़' का नाम ऊपर क्यूँ नही आया , दूरदर्शन पर आने वाली 'उडान' , 'स्वाभिमान' का नाम मैंने क्यूँ नहीं लिखा . पर ऐसे नाम आप ऊँगली पर गिन सकते हैं , जिसे देख कर दर्शक पर सकारात्मक असर हो . पर ऐसे नाम ऊँगली पर गिने जा सकते हैं और इन्हें वो सफलता भी नही मिली जो एडवेंचर और मैजिक के नाम पर , 'शक्तिमान' , 'आर्यमान', 'जूनियर जी' , 'सोनपरी' , 'शाकालाका बूम बूम' को मिली . इनसे सन्देश क्या मिलता था , हर समस्या का समाधान कोई विशेष शक्ति - संपन्न व्यक्ति करेगा , फ़रिश्ता कह लीजिये . 'शक्तिमान' के पूरे एपिसोड के सामने , इसके अंत में राजेस खन्ना द्वारा दिया गया सन्देश कितना असर छोड़ पाता होगा . (मुज्जफरपूर की एसपी हरप्रीत कौर को 'उड़ान' देख ही एसपी बनने की प्रेरणा मिली थी . जी , बिहार का मुजफ्फरपुर , ब्रजेश ठाकुर , बालिका सुधार-गृह ). मोबाइल ने तो दायरा बढाया . 'रामायण' की जगह किसी और 'रामायण' ने ले ली . आप नही समझे , कोई बात नही और यदि समझ गए तो दोनों रामायण को देखना छोड़ ' 'रामायण' पढ़ लीजिये . संभव हो तो गीता पढ़ , टुकड़ों में ही पढ़ लीजिये या फिर टुकड़ों के टुकड़ों में , जैसे भी हो . YouTube से टेलीविजन निकाल दीजिये , मतलब निकाल कर सोचिये की क्या बचता है . कुछ नाम जैसे कि Screen patti , Timeliners , Bhuvan Bam(bb ki Vines ) , आप अपने हिसाब से और भी intertainment चेनल का नाम जोड़ लीजिये और सोचिये कि ऐसे कितने विडिओ इन चनलों पर ऐसे आ पाते हैं जो सपरिवार देखा जा सकता है . NetFlix इतिहास में जाता है , अंडरवर्ल्ड को उठाता है , फिर फुहडता और अश्लिलता का लेप लगा कर ही Sacred Games परोसता है . आपको भी थ्रिलर , क्राइम , एक्शन सब एक साथ मिलता है . इसी प्लेटफोर्म की दूसरी हिट सीरीज पर गौर कीजिये . आपने देखा नही तो ट्रेलर देख लीजिये YouTube पर . एक बात सबमें कॉमन मिलेगा कि आप परिवार के साथ बैठकर देखने से हिच्केंगें . शायद ये सोचेंगे कि ' भाभी जी घर पर हैं ' ही ठीक है . भला एक धारावाहिक जिसमें मुख्य पात्र दुसरे की पत्नि पर लाइन मारता है , लोग चठ्कारे लेते हुए परिवार सहित देखते हैं . कैसे ? क्या ऐसी वास्तविकता को उतनी ही स्वीकार्यता मिल पायगी ?
संभव है कि मेरी बातों पर आपका रवैया आलोचनात्मक हो . स्तम्भ के शीर्षक के लिए कहूँगा कि इसी नाम कि एक वेबसेरिज आप NETFLIX पर सपरिवार देख सकते हैं . सेरिज में नब्बे की इनोसेंसी को जिस अंदाज में फिल्माया गया है उसे देख और दिए गये सन्देश को NETFLIX के दुसरे सीरीज से तुलना कीजिये . शायद आप सहमत हो जाएँ . पश्चिम की तरफ अंधाधुंध भागकर हर कालखंड में भारतियों ने अपनी हवा खुद ही निकली है . एक जोंम्बी सामान्य व्यक्ति का खून पी लेता है , फिर सामान्य व्यक्ति भी जोम्बी बन जाता है , फिर दो से चार ….... असंख्य . आपको क्या लगता है कि कोई स्पाईडर मैन आएगा या कृष जो सारे चोर बेईमानों को ठिकाने लगा देगा . यदि स्वंत्रता सेनानियों ने भी कृष देख ली होती तो उनकी तादाद उतनी नही हो पाती . हर किसी को अपना रोल सलीके से निभाना होगा . हाँ , यदि आप नेटफ्लिक्स के सुब्सक्राबर नही हैं तो फ्री में देखने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करें . ये पाईरेटेड नही है नाही अवैध . मोबाइल लेकर अकेले बैठने कि भी जरुरत नही है . LINK - https://tvfplay.com/category/1/series/302

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